मतीन का हुआ काग्रेस से मोह भंग

हल्द्वानी। विस 2022 से पहले हल्द्वानी में राजनीतिक समीकरण बदल सकते है। चार बरस पहले साइकिल का साथ छोड़कर हाथ के पंजे का दामन थामने वाले अब्दुल मतीन सिद्दीकी का काग्रेस सर मोह भंग हो गया है। मतीन ने पार्टी में हो रही उपेक्षा का इसको जिम्मेदार ठहराया है। मतीन ने सपा की साइकिल को दोबारा थामने के साथ ही भाजपा में जाने का विकल्प खुला होने के संकेत भी दिए है। इससे हल्द्वानी विधान सभा मे राजनीतिक सरगर्मियां बड़ गई है। गौरतलब है कि करीब दो दशक से अधिक समय सपा के साथ राजनीति करने वाले मतीन ने 9 अगस्त 2016 को काग्रेस का दामन थाम लिया था। इससे पहले मतीन की भजापा में जाने की चर्चाओं ने जोर पकड़ा था। इस तरह पिछले चार साल से मतीन काग्रेस से जुड़कर राजनीति कर रहे थे। लेकिन चार बरस की इस पारी से मतीन संतुष्ट नही है। वे लगातार कुछ लोगो पर उपेक्षा का आरोप लगा रहे है। एक टीवी चैनल को दिए इंटरव्यू में मतीन ने खुलेआम उपेक्षा का आरोप लगाया है। उनका कहना है कि पार्टी ने उन्हें यथोचित स्थान और सम्मन नही दिया है। इससे उनके समर्थकों का मनोबल भी गिरा है। इससे आहत मतीन ने अब काग्रेस छोड़ने का मन बना लिया है। उनका कहना है कि सारे हालात बनभूलपुरा के आवाम के सामने है। आवाम जो फैसला करेगी, उसी के अनुरूप नई पारी शुरू करने पर विचार करेंगे। इस दौरान उन्होंने सपा के अलावा अन्य विकल्पो पर भी गौर करने के संकेत दिए। इधर मतीन की इस घोषणा के सार्वजनिक होते ही हल्द्वानी विधान सभा मे राजनीतिक सरगर्मी बड़ गई है। राजनीतिक दल अपने नफा नुकसान का आंकलन कर हालातो का विश्लेषण कर रहे है। मतीन के बयानों से काग्रेस के भीतर भी उठापटक शुरू हो गई है। काग्रेस डैमेज कंट्रोल की रणनीति पर काम कर रही है। जबकि भाजपा आदि दल इस मौके को अपने पक्ष में भुनाने की जुगत में जुटे है। अब देखना है कि राजनीति का यह ऊंट किस करवट बैठेगा।

 

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