आपदाग्रस्त गांवो को पुनर्जीवित करने की है नितांत आवश्यकता: रावत
हल्द्वानी/ नैनीताल। धारचूला, मुनस्यारी, पिथौरागढ़ के कई गांव में आपदा से बुरी तरह प्रभावित हुए हैं। राज्य और केंद्र सरकार को तुरंत इस पर विशेषज्ञों समेत विभागीय  इंजीनियरों की टीम भेजनी चाहिए। व्रहद सर्वे कराकर प्रभावित गांव को पुनर्जीवित किया जाना चाहिए। यह बात गुरुवार को नैनीताल के राज्य अतिथि गृह में पत्रकार से वार्ता करते हुए पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने कही। उन्होने कहा कि बीते दिनों मेरे द्वारा कई गांव में भ्रमण किया गया। जहां लोग आपदा से प्रभावित हुए हैं। सबका कहना है हमारी सुरक्षा अथवा विस्थापन कैसे होगा। वहां कई गांव के ऊपर जंगलों से मलबा आया है। कई घर गोरी गंगा नदी में समा गए। जमीन फटने से दर्जनों मकान छुक गए हैं, जो चिंता का विषय है। यहां आपदा भी केदारनाथ जैसी आपदा से कम नहीं है। इनमें राष्ट्रीय स्तर पर विशेषज्ञों पुनर्वास की दरकार है। पूर्व सीएम रावत ने कहा इस सरकार ने पंचायती राज्य को खत्म करने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी हैं। जिला योजनाएं आधी कर दी हैं। आपदा के चलते योजनाएं तक नहीं बन पाई है। जिससे गांव में विकास कार्य ठप हो गए हैं। सरकार मनरेगा की चादर उड़ा कर प्रदेश की जनता को धोखा दे रही है। जबकि केरल में विधायक से ज्यादा शक्तिशाली ब्लॉक प्रमुख है। लेकिन हमारे प्रदेश में पंचायती राज्य खत्म किया जा रहा है। उन्होंने कहा जिला विकास प्राधिकरण बनाकर प्रदेश में बहुमंजिला बिल्डिंग का निर्माण किए जा रहे हैं। जबकि गरीब आदमी अपने भवन की चौखट नहीं बदल पा रहा है। उन्होंने आरोप लगाया कि जिला विकास प्राधिकरण आला अधिकारियों और नेताओं के लिए आय का साधन है और कुछ नहीं।  प्राधिकरण बनने के बाद सिर्फ भ्रष्टाचार बढ़ा है। इस मौके पर पूर्व विधायक सरिता आर्या, हेम आर्या, डॉ रमेश पांडे आदि मुख्य रूप से मौजूद थे।