हल्द्वानी। उपनल संविदा कर्मचारी संघ उत्तराखण्ड ने सरकार पर उत्पीड़न का आरोप लगाते हुए कहा कि वर्ष 2004 में प्रदेश में पूर्व सैनिकों एवं उनके आश्रितों को रोजगार देने के लिए पूर्व सैनिक कल्याण निगम करके एक एजेंसी बनाई गई। इसके माध्यम से वर्तमान समय में कुमाऊं में ढाई हजार से अधिक कर्मचारी तैनात हैं, जो 16 सालों से 8 से 10 हजार रुपये के वेतन में ही कार्यरत हैं। शुक्रवार को यहां जारी बयान में संरक्षक अशोक चौधरी, अध्यक्ष रमेश शर्मा, महामंत्री मनोज जोशी, उपाध्यक्ष पूरन चंद्र भट्ट ने कहा कि 12 नवंबर 2018 को हाईकोर्ट नैनीताल ने इन पूर्व सैनिकों व उनके आश्रितों के हित में निर्णय दिया कि एक वर्ष में इनको विभिन्न नियमावलियों के तहत नियमित किया जाए एवं समान कार्य समान वेतन दिया जाए। लेकिन राज्य सरकार इस फैसले को लागू करने के बजाय इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में चली गई, जहां मामला अभी विचाराधीन है। उन्होंने कहा कि एक तरफ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उत्तराखंड को सैनिक धाम घोषित करके गए हैं और वहीं दूसरी तरफ यहां सैनिकों का उत्पीड़न किया जा रहा है। उन्होंने सरकार से समान कार्य के लिए समान वेतन देने की मांग की है।
उपनलकर्मियों ने लगाया सरकार पर उत्पीड़न का आरोप