हल्द्वानी/ नैनीताल। उत्तराखण्ड हाईकोर्ट ने मंगलवार को चारधाम देवस्थानम बोर्ड के गठन के खिलाफ दायर याचिका पर फैसला सुनाया। चीफ की खंडपीठ ने राज्य सभा सांसद सुब्रह्मण्यम स्वामी के द्वारा दायर जनहित याचिका पर फैसला सुनाते हुए उक्त जनहित याचिका को खारिज कर दिया है। बता दे की पिछली 6 जुलाई को हुई सुनवाई में कोर्ट ने मामलों को सुनने के बाद निर्णय शुरक्षित रख लिया था। यह फैसला आज मुख्य न्यायधीश रमेश रंगनाथन व न्यायमुर्ति आरसी खुल्बे की खंडपीठ ने सुनाया। स्वामी ने अपनी जनहित याचिका में कहा था कि सरकार द्वारा लाया गया यह देवस्थानम एक्ट असवैधानिक है। यह संविधान के अनुच्छेद 25, 26 और 32 समेत जनभावनाओं के विरुद्ध है। मामले में रुलक संस्था ने भी खंडपीठ के समक्ष अपना पक्ष रखा। जिसमें दवस्थानम एक्ट को उचित ठहराया था। कोर्ट ने बोर्ड के गठन को सही मानते हुए संबंधित जनहित याचिका को निरस्त कर दिया है।
पुजारी समाज को जाना चाहिए सुप्रीम कोर्ट: इंदिरा
हल्द्वानी। देवस्थानम बोर्ड को लेकर उत्तराखण्ड हाईकोर्ट द्वारा राज्यसभा सांसद सुब्रमण्यम स्वामी की याचिका खारिज किए जाने के बाद नेता प्रतिपक्ष डॉ इंदिरा हृदयेश ने कहा कि वह हाईकोर्ट के फैसले का सम्मान करती हैं। लेकिन मंदिरों को सरकार द्वारा संचालित करने के फैसले का विरोध कर रहे पुजारियों और पंडों के साथ उनका समर्थन है। नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि सरकार के इस कदम से नाखुश सभी पुजारी समाज को सुप्रीम कोर्ट भी जाना चाहिए। गौरतलब है कि राज्य सरकार द्वारा चार धाम सहित 51 अन्य मंदिरों के लिए देवस्थानम बोर्ड एक्ट बनाए जाने के बाद राज्यसभा सांसद सुब्रमण्यम स्वामी ने नैनीताल हाईकोर्ट में जनहित याचिका लगाई थी जिसे आज मंगलवार को हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया है।