संजय रावत
हल्द्वानी।बिल्डर और प्रशासन का गठजोड़ जितना मजबूत होता जा रहा है आमजन उतनी ही मुश्किलें झेलने को मजबूर होता जा रहा है। हल्द्वानी नगर भी इससे अछूता नहीं है। बिल्डर लोेगों को सुलभ और सुरक्षित घर का सपना दिखाकर छल रहे है और सभी सम्बन्धित विभाग मौन धारण किये बैठे है। बिल्डर की हिमाकत देखिये कि वो सरकारी जमीन को भी प्लाट दिखा कर बेच दे रहे है और बिल्डर शहर में शान से घूम रहे है।
ये वाकया है तीन पानी हल्द्वानी तहसील का जहां बिल्डर ने ट्यूलिप नामक काॅलोनी बनायी और आराम से बेच भी दी। काॅलौनी में कुछ प्लाट (सरकारी भूमि वर्ग 4 सहित) और कुछ विला बना कर बेचे गये। लेकिन वो बातें लोगों को सताने लगी जो बिल्डर ने सपने दिखाते समय लोगों से कही थी। मसलन सड़क, बिजली, पानी, पार्क और सुरक्षा की। ये सब चीजें वहां धरातल पर नजर नहीं आती है।
वर्ष 2015-16 से यहां निमार्ण कार्य शुरू हुआ है जो अब घौंघे की चाल में तब्दील हो चुका है। यहां प्लाटों के अलावा विला भी बनाकर बेचे गये। 55 विला में से 35 विला बिक चुके है जिसमें सिर्फ 10 परिवार ही इस काॅलोनी में निवास करते है। ये महत्वपूर्ण बात है कि जब सारे प्लाट बिक चुके, विला बिक चुके फिर 10 परिवार ही क्यों रहते है। यहां बताया जा रहा है कि प्लाट तो उन लागों ने खरीदे है जिन्हे सिर्फ निवेश की जरूरत थी। लेकिन विला उन्होंने खरीदे है जो सपनों का घर समझ झांसे में आ गये।
यहां एक मात्र पार्क को बिल्डर ने अपने गोदाम में तब्दील कर दिया है। मुख्य मार्ग की भूमि सरकारी (वर्ग 4 की) है। पानी की लाइन का कनेक्शन नहीं है। इसलिए रोज टैंकर से पानी भेजा जाता है लोगों के घरों में। बिजली का भी यही हाल है। निमार्ण के समय जो व्यवसायिक कनेक्शन लिया जाता है उसी से सबको बिजली सप्लाई की जा रही है। घरों के आगे बिजली की नंगी तारो का जाल देख कर सपनों के घर का भ्रम दूर हो जाता है। ये सब सपनों के घर के टल्लें है जो साफ दिखाई देते है। सम्बधित अधिकारियों से इस बाबत अभी बात नहीं हो पायी है इसलिये बांकी अव्यवस्थाओं और राजस्व की हानी का जिक्र फिर कभी....
ट्यूलिप होम्स पर ग्रहण