हल्द्वानी। किसी की मुश्किल किसी का मुनाफा ये कोई नई बात नहीं दुनिया में। अवसरवादिता नामक शब्द ही इन्हीं परिस्थितियों के चलते वजूद में आया होगा। हल्द्वानी में श्री राम मन्दिर ट्रस्ट की मजबूरी ने एक धार्मिक व्यवसायी को अंजाने ही ऐसी छूट दे दी। जिसके चलते बीच बाजार में 4 मंजिला अवैध ईमारत ने आकार ले लिया। विकास प्राधिकरण का वजूद तो अधिकारी / अभियन्तागण पहले ही खुद खत्म कर चुके है। जिसके चलते इस तरह के अवैध निर्माणों की बाढ़ सी आ गयी है। पहुच वाले लोग मनमर्जी से ईमारते बनाते और उसे खुर्द-बुर्द करते रहते है पर प्राधिकरण भी अनदेखा करता है और सम्पति के मालिकान भी। मामला यूं था कि कारखाना बाजार में श्री राम मन्दिर ट्रस्ट की तीन मंजिली सम्पति ;ईमारतद्ध को वर्षो पहले आशा राम मोहन सिंह को किराए पर दिया गया था। किराया समय पर ना चुकाने के चलते उनसे वह ईमारत ट्रस्ट ने खाली करा ली। ये भी इसलिए हुआ कि ट्रस्ट को अपनी एक धर्मशाला का पुर्ननिर्माण कराना था जिसके लिए ट्रस्ट के पास पैसे नहीं थे। ऐसे में एक व्यापारी ने संजय थरेजा को आगे बढ़ाया और करीब 21 लाख चन्दा ट्रस्ट को देकर किराए मंे दूकान हासिल कर लिया गया। ये भी संजय थरेजा नहीं बल्कि उनकी पत्नी के नाम पर। ऐसे मंे ट्रस्ट का रूका हुआ काम भी बन गया और थरेजा साहब को नया प्रतिष्ठान भी मिल गया। अमूमन होता यह है कि किराए नामंे में कई शर्तें और चेतावनियां प्रपत्रों में बाकायदा लिखी जाती है। मशलन दूसरा पक्ष सम्पति को खुर्द-बुर्द ना कर उसके मूल स्वरूप में परिवर्तन नहीं करेगा आदि आदि। पर यहां मामला अलग था। चूंकि ट्रस्ट आर्थिक संकट से जूझ रहा था और थरेजा साहब संकट मोचक बनकर सामने आए थे। इसलिए ट्रस्ट ने सम्पति को खुर्द-बुर्द किये जाने को अनदेखा कर दिया। हालांकि ट्रस्ट के सचिव अमर नाथ जोशी ने साफ - साफ कहा है कि वो ईमारत तीन मंजिला है और तीन मंजिला ही रहेगा। जिसके हर माले का किराया 500 रूपये प्रतिमाह होगा। लेकिन थरेजा साहब ने ट्रस्ट को दरकिनार तो किया ही साथ मंे विकास प्राधिकरण को भी लल्लू समझ बिना परमिशन लिए चैथी मंजिल भी तैयार कर डाली। अब चैथी मंजिल का किराया भी ट्रस्ट लेता है तो माना जाएगा कि सचिव साहब की मौन सहमति इसमें शामिल रही होगी।
मैं आपकी क्या सेवा कर सकता हूं
हल्द्वानी । इस मामले पर जब हमने संजय थरेजा से इस बावत दूरभाष पर बात की तो उनका कहना था कि बाजार क्षेत्र में इस तरह का निर्माण किया जाना रिवाजों के रूप में शामिल हो गया है। जिस पर प्राधिकरण और मीडिया को ध्यान आकर्षित करना चाहिए। बहरहाल मैं आपकी क्या सेवा कर सकता हूं मुझे आप ये बताइये।