राजेश सरकार
हल्द्वानी। आम आदमी की खुन पसीने की कमाई पर भरोसेमंद कहें जाने वाले बैंक ही डाका डालने का काम कर रहे है। भारतीय बैंक कही छोटी छोटी सुविधाओं के नाम पर मनमाने चार्ज ग्राहकों से वसूलने में नहीं चूक रहे है। इन्हें वे सर्विस चार्ज कहते है। छोटे दिखने वाले ये चार्ज, ग्राहको की जेब पर एक तरह का डाका है। जो कई बार उन्हें मालूम भी नहीं चलता। बारिकी से नजर डालने पर उन्हें यह एहसास होता है कि बैंक की कोई सुविधा, अब मुफ्त नहीं रही। बैंक, अपनी हर सेवा के लिए ग्राहकों से मनमाना शुल्क वसूल रहे है। सेविंग खाते में मिनिमन बैलेन्स रखने से लेकर बैंक अकाउट को बन्द कराने के लिए बैंक, ग्राहक के खाते से चार्ज काट लेते है। बैंक के नियम व शर्तों में कभी कभार ये चीजें लिखित में होती है, लेकिन उनकी सही जानकारी आमतौर पर ग्राहकों को नहीं होती। वह उनसे अन्जार रहते है। बता दें कि देश के सबसे बड़े सरकारी बैंक, भारतीय स्टेट बैंक ने एक अक्टूबर से अपने सर्विस चार्ज में बड़ा बदलाव किया है। इसमंे बैंक में रूपया जमा करना, रूपया निकालना, चैक का इस्तेमाल, एटीएम ट्रांजेक्शन से जुड़े सर्विस चार्ज शामिल है। सबसे बड़ा बदलाव, बैंक खाते में रूपया जमा करने पर सर्विस चार्ज है। नए नियम के मुताबिक ग्राहक अब एक महीने में अपने खाते में केवल तीन बार रूपया मुफ्त में जमा कर पाएगें। यदि इससे ज्यादा बार रूपया जमा करते है तो हर एक ट्रांजैक्शन पर उसे 50 रूपये का चार्ज देना होगा। जिसमें जीएसटी अलग है। इस तरह चैथी, पांचवी या ज्यादा बार रूपया जमा करने पर हर बार 56 रूपये ज्यादा देने होगें। मालूम हो कि बैंक सर्विस चार्ज पर 12 प्रतिशत का जीएसटी वसूलता है। इससे पहले किसी भी बैंक में कम से कम खाते में रूपये जमा करने सम्बन्धी कोई रोक टोक नहीं थी। कोई भी व्यक्ति अपने खाते में, महीने में कितनी ही बार कितना भी पैसा जमा कर सकता था। चैक रिटर्न के नियम भी अब कड़े हो गये है। कोई भी चैक किसी तकनीकी वजह से (बाउस) के अलावा लोटता है तो चैक जारी करने वाले पर 150 रूपये चार्ज लगेगा। जीएसटी को मिलाकर यह चार्ज 168 रूपये होगा। यही नहीं अगर किसी ग्राहक के अकाउट से पिछले 6 माह मंे किसी भी तरह का ट्रांजैक्शन नहीं हुआ है, तो इसके लिए उसे जुर्माना भरना पड़ेगा। इसमें सरकारी व निजी बैंकों के अलग अलग नियम है। आम धारणा है कि इलैक्ट्राॅनिक ट्रांजैक्शन का एटीटम इस्तेमाल करने के बजाय, बैंक जाकर ट्रांजैक्शन करना आसान है और उसका कोई चार्ज ग्राहक से नहीं वसूला जाता। कई बैंक दावा करते है कि वह अपने खाता धारक को जीवन बीमा जैसी सुविधा देते है। यह बात बहुत हद तक सही है, लेकिन यह सुविधा भी उन्हें मुफ्त नहीं मिलती। बीमे के लिए बैंक द्वारा निर्धारित एक राशि होती है जो बैंक मासिक या सालाना रूप से ग्राहक के खाते से काट लेता है। यही नहीं जब भी कोई ग्राहक पेट्रोल पम्प से पेट्रोल-डीजल भरवाने के बाद अपना कार्ड स्वेप कराता है, तो उतने ही मूल्य का कुछ फीसदी हिस्सा बैंक द्वारा सरचार्ज के रूप में लिया जाता है। फिर यह बात तो सबको मालूम है कि हर तरह के आॅनलाईन एवं कार्ड ट्रांजैक्शन के लिए बैंक, खाताधारक से सुविधा शुल्क लेता है। कार्ड स्वेप कराने की सुरत में ट्रांजैक्शन चार्ज लिए जाते है और आॅनलाइन भुगतान करते समय पेयमेंट गेटवे चार्ज लिया जाता है। एमएमएस एलर्ट भी मुफ्त नहीं है। सभी बैंक इससे खुब कमाई कर रहे है जबकि भारतीय रिजर्व बैंक के नियमों के अनुसार यह सुविधा मुफ्त है।
इतना सब कुछ हो रहा है मगर सरकार को इसकी जरा सी भी परवाह नहीं। यही वजह है कि बैंकों में छोटी आय समूह वाले ग्राहकों द्वारा धन जमा करने वालों की संख्या में कमी आ रही है।