हल्द्वानी के इस व्यापारी ने किया राम मन्दिर ट्रष्ट भूमि पर कब्जा


भुवन जोशी


हल्द्वानी। शहर के व्यवस्थित विकास को लेकर स्थानीय विधायक हो या शासन-प्रशासन हमेशा अखबार की सुर्खियों में रहते है कि फलां -फलां व्यवहारिक योजना अमल में लाई जा रही है जिससे शहर का चहुमुखी विकास होना अब संभव हो पाएगा। इस तरह के ऐलान व नीतियां शासन और सरकार द्वारा रोज-ब-रोज सालों से दोहराये जाते है। लेकिन यथार्थ के धरातल पर चीजों को परखना हो तो शहर में घूमकर देखना चाहिए। हर तरफ मानकों के विरूद्व ऐसी ईमारते अस्तित्व में है जो कभी भी गिरायी जा सकती है। बावजूद इसके अवैध निर्माण का कार्य बदस्तूर जारी है। 
शहर के पालनहारों ने सब कुछ व्यवस्थित करने की जिम्मेदारी जिन विभागों व प्रशानिक अधिकारियों को दे रखी है वे आंखों के साथ अपना जमीर भी इन अवैध निर्माणकारी व्यवसायियों को सौंप चुके है। जनता दिन रात अपने वाजिब कामों के लिए इनके चक्कर लगा-लगा थक जाती है और वाजिब काम शायद इसलिए नहीं हो पाते क्योंकि सम्बन्धित अधिकारी अवैध निर्माणकारी शक्तियों के खेमे में डेरा डाले हुए है।  इन दिनों शहर के सबसे भीड़भाड़ वाले कारखाना बाजार में बन रही अवैध चौमंजिला ईमारत इस लिए भी चर्चा में है क्योकि इसे बनाने वाला शख्स धर्म कर्म के व्यवसाय से जुड़ा है।
श्री राम मंदिर ट्रष्ट की इस संपत्ति पर दिन रात युद्ध स्तर पर निर्माण कार्य किस की शह पर चल रहा है यह कोई नही बता रहा है। हालांकि बाजार के एक व्यापारी में बकायदा इस अवैध निर्माण की शिकायत जिला प्राधिकरण के हल्द्वानी कार्यालय में लिखित रूप से की है। प्राधिकरण कार्यालय में तैनात जे.ई. मनोज अधिकारी बताते है की शिकायत के बाबत अवैध निर्माणकर्ता को नोटिस देने के साथ ही तत्काल कार्य बन्द करने के निर्देश भी लिखित रूप से दिए गए है। इसके बावजूद भी उक्त अवैध निर्माणकर्ता जो बरेली रोड स्थित प्रतिष्ठान 'शिव रत्न केन्द्र' का मालिक बताया जा रहा है व जिसका नाम संजय सरेजा है जो उक्त अवैध कार्य को बन्द करने की बजाय प्रशासन के आदेशो की धज्जिया उड़ाते हुए युद्ध स्तर पर निर्माण कार्य को अंजाम दे रहा है।
दूसरी तरफ प्रशासनिक अधिकारियों की उदासीनता भी निर्मानकार्य को गति देती दिखती है । वर्ना क्या वजह है कि शिकायतों और लगातार आदेशों के बाद निर्माणकर्ता के हौसले इतने बुलंद हैं कि वह व्यस्ततम बाजार में भी द्रुत गति से दिनरात कार्य करा रहा है ।
ये शायद इसलिए हो रहा तांकि निर्माण कार्य पूरा कर उसे 'वन टाइम सेटेलमेंट' में दर्शा वैध करार दिया जा सके । लेकिन यह सुविधा सिर्फ उन अवैध निर्माणों के लिए शाशन ने दी है जो निर्मानकार्य शासनादेश जारी होने से पहले किये गए हैं ।
अब देखना यह है कि नियम मानकों के विरुद्ध निर्मित यह इमारत प्रशासन की उदासीनता चलते पूर्ण हो जाएगी या फिर इसे पूर्ण कर शासनादेश को नकार इसे पूर्वनियोजित कार्यक्रम के तहत वैध करार दे दिया जाएगा ।